Sunday 9 September 2012


        मिलावट

जिन्दगी से तंग आ कल रात उसने

जहर की गोली मंगाया खा गया

सुबह वो जिन्दा उठा था ठीक सा

उसका सर इस बात से चकरा गया

खैर जो भी हुआ वो अच्छा हुआ

रह के जिन्दा बहुत ही वो खुश हुआ

मगाई उसने मिठाई खुशी से

शुक्रिया उसने कहा प्रभु खुशी से 

चढा कर मंदिर मे उसको खा गया

मगर फिर उसका था सर चकरा गया

मिलावट से थी मिठाई जहरीली वो

फिर गया देखो सो अंतिम नींद वो  
 
जितेन्द्र मणि

  

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