Wednesday 17 April 2013


हज़ार कांधे ज़नाजे पर  तेरे आयेंगे    

 

डर के साये मे नजाने जी रहे है क्यों भला

इतनी आसानी से ये मौत भी ना पाएंगे

आप नाहक ही परेशान मौत से अपनी

ऐसे क्या जिंदगी भी खाक ही जी पाएंगे

रोज डरते है की मर जाय ना कही अब हम

आप जिन्दा ही कहा है की जो मर जायेंगे

गुजर गये भी तो ना कारवां होगा कोई

ना ही दिलदार दिल से कंधा ही लगाएंगे

जो चले मौत की आँखों मे भी आंखे  डाले

हज़ार कांधे ज़नाजे पर  तेरे आयेंगे    

 

जितेन्द्र मणि

     

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