Tuesday 17 July 2012

माँ तू तो बस माँ है ,बच्चे का सारा जहा है

ये जमी है आसमान है बच्चे की निगहबान है

माँ तू कितनी पावन है मनभावन है
...
बच्चे की खातिर तू बरखा है है सावन है

तू बच्चे की मोहक मुस्कान है आँख मिचोली है

माँ तू कितनी सची है कितनी भोली है

तू बच्चे की तुतलाहट है बोली है

तू जीवन के रंग है पिचकारी है होली है

तू बच्चे की सखा है जीवनदाता है

तू जन्ननी है माँ भाग्यविधाता है

तु ममता है बच्चे का अभिमान है

सभी सद्गुणों की खान है

तू गीता है कुरआन है सबद है पुराण है

जीवन की धड़कन है स्वास है प्राण है

माँ तू देवी है भगवती है आराध्य है

जीवन की कल्पना भी बिन तेरे असाध्य है

माँ तुझे मई क्या उपमा दू तू बस माँ है माँ है मा है

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Jitendra mani

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